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संदेश ✉️

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राय (समाज हित के लिए संदेश ) मुस्कान का जो केस हुआ अभी मेरठ में  हिंदुस्तान का संस्कृति ये है कि तुम  हिंदुस्तान को बदलना चाह रहे हो  आप ये सोच रहे हो ये जो लोग है, क्रांति कर देगे जो, कार्टून बना रहे है  मुस्कान के नाम पर लोगों को ये दुख  नहीं है मतलब लोग ये नहीं सोच रहे है, की ये कितनी गंभीर मामला है ,इसपर  थोड़ा गंभीर स्थिति होनी चाहिए लेकिन  लोग उस पर कार्टून बना रहे है और ये कौन  लोग है जो कार्टून बना रहे है दबा कर share  कर रहे है ये वही लोग है जो शिक्षित लोग है  जो अशिक्षित लोग है उन्हें ये सब करना नहीं  आता है आप इनकी बौद्धिक चेतना की बात कर रहे है, कि ये जागेंगे ..। "स्वामी विवेकानंद ने कहा था  उठो जागो और तब तक मत  रुको जबतक आपको लक्ष्य की  प्राप्ति नहीं हो जाती" आपको लगता है, ये जो वर्ग इस  बात पर हंस रहे हैं इस बात पर  बनी वीडियो कार्टून को दबाकर  शेयर कर रहा है जिस पर उनकी  प्रतिक्रिया हास्यास्पद है  क्या ये वर्ग कभी क्रांति कर पाएगा  ये घटना जब उसके घर में घटेगी ...

विज्ञान और कविता

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विशेष: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस और विज्ञान की कविता मुकुल सरल | 28 Feb 2021 नज़रिया साहित्य-संस्कृति विज्ञान भारत राजनीति आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस है और इतवार भी तो क्यों न आज ‘इतवार की कविता’ में विज्ञान से ही जुड़ी कविताओं के बारे में बात की जाए। ऐसा सोचते ही मुझे सबसे पहले चकबस्त याद आए। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस  आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस है, तो आज ‘इतवार की कविता’ में विज्ञान से ही जुड़ी किसी कविता को पढ़ा जाना चाहिए। हालांकि कवि-शायर अपने कहन, अपनी रचना में अपनी कल्पना, अपने जज़्बात और एहसास से काम लेता है लेकिन कभी भी जीवन के सच और विज्ञान का निषेध नहीं करता। इसके उलट वह ज्ञान-विज्ञान के गूढ़ रहस्यों को बहुत आसान शब्दों और अर्थों में भी प्रकट कर देता है। कभी-कभी कोई एक दोहा, चौपाई या शेर एक सूत्र रूप में प्रकट हो जाता है। जैसे जीवन या जीवन गति या कहें कि शरीर विज्ञान को 19वीं सदी का शायर किस ख़बसूरती से एक शेर में समेट देता है। वह कहता है-  ज़िंदगी क्या है अनासिर में ज़ुहूर-ए-तरतीब मौत क्या है इन्हीं अज्ज़ा का परेशाँ होना जी हां, यह बृज नारायण चकबस्त का मशहूर शे...

मत कत्ल करो आवाजों का

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कुछ सीखने का प्रयास कर रहा हु .. मत कत्ल करो आवाजों को - अहमद फराज 🌼

ये महलों ये तख्तों

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ये महलों ये तख़्तों  ये ताजों की दुनिया  ये इंसाँ के दुश्मन  समाजों की दुनिया  ये दौलत के भूके  रिवाजों की दुनिया  ये दुनिया अगर मिल  भी जाए तो क्या है..! पुस्तक : kulliyat-e-sahir Ludhianvi  रचनाकार : SAHIR LUDHIANAVI  प्रकाशन : Farid Book Depot

प्रेम

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लड़कों को नहीं आता आपस में प्रेम जाहिर करना , "तू नहीं जाएगा तो मैं भी नहीं जाऊंगा" यही उनकी प्रेम की भाषा है ।     ~आदर्श 🤍

पंडित (बुद्धिमान)

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"पोथी पढ़ि पढि जग मुआ पंडित भया न कोय        ढाई आखर प्रेम के पढ़े सो पंडित होय " भावार्थ : बड़ी-बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुंच गए, पर सभी विद्वान न हो सके। कबीर मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, तो वही सच्चा ज्ञानी होगा..! । - आदर्श🍁

जिन्दगी क्यों मेरे पीछे पीछे चल दिया ..!

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जिंदगी की शायरी  : दोस्तो जिंदगी एक ऐसी पहली है जिसपर पूरा नियंत्रण हमारे ऊपर होता है । आपके रोजमर्रा के फैसले कैसे है । आपकी जिंदगी उस पर निर्भर करती है । जहां हम सब अपना किरदार निभा रहे है । किसी के लिए जिंदगी एक ट्रेन के समान है जो समय की पटरी पर तेज दौड़ती जा रही है .. तो इन्हीं बातों को ध्यान में रखते  हुए हमने आपके लिए @TheAdarshVoice खाश आपके लिए पेश कर रहे है । दोस्तो जिंदगी पर लिखी गई ये शायरियां आप सभी दोस्तो  को काफी प्रेरित करेग जिंदगी (शायरी ) ख्वाबों की ऊँचाई पर उड़ने चला ज़िन्दगी के हर रंग को जीने चला मुसीबतों की छाँव में भी उम्मीद की रोशनी ढूंढने चला..!!! दरिया हो या चट्टान टकराना आना चाहिए लाइफ मिली है जीने के लिए हमें हर पल मुस्कुराना चाहिए..!!! जिंदगी के खेल में वही जीतता है जो दर्द को सहकार खुशी का एहसास करता है..!!! हर दर्द के बाद राहत की एक सुबह आती है  हर अंधेरे के बाद रोशनी की एक राह दिखती है  जिंदगी इसी तरह चलती रहती है ..! -~ आदर्श ♥️